Sunday, July 26, 2009
वक़्त और हालात बदल गए हैं,नजरिया भी बदलो: षड्यंत्रकारियों से सावधान
एक बात जो हमेशा से कही जाती रही है कि "आपका जैसा नजरिया होता है,जैसी आपकी सोच होती है ,दुनिया आपको वैसी ही दिखती है| मतलब ये कि आप अच्छे हैं तो दुनिया आपको अच्छी दिखेगी और आप बुरे हैं तो दुनिया आपको बुरी दिखेगी| लेकिन मैं इस तर्क से इत्तेफाक नहीं रखता| मुझे लगता है कि इस सोच को,इस तर्क को बदलने की ज़रूरत है| समस्या ये है कि आपको बुराई दिखती है,आप देखते हैं कि बुरे लोग अपनी चाल में कामयाब हो रहे हैं,लेकिन आप खुल कर कुछ नहीं बोलते| दरअसल जब कोई इंसान कुछ बोलना चाहता है तो कुछ ऐसे लोग जो नियम-कानून और सिद्धांतों की दुहाई देते हैं,वो समझाने की कोशिश करते हैं कि दुनिया को अच्छी नज़र से देखो| अब जो इंसान अपनी बात कह रहा होता है वो खामोश हो जाता है| हालाँकि मैं मानता हूँ कि बुराई का अंत तो तय है और ये भी सच है कि दुनिया में अच्छाई आज भी विद्यमान है और शायद बुराई से ज्यादा ताक़तवर भी है| लेकिन जीवन के हर मोड़ पर बुराई ने लोगों को गहरी चोट दी है,ये एक बड़ा सच है|
समस्या तब खड़ी होती है जब एक अच्छाई को दस बुराइयों से अकेले लड़ना पड़ता है| गौर करने वाली बात ये है कि जो दूसरों के लिए परेशानी खड़ी करने का काम करते है,वो कई तरह से आपको परेशान कर सकते हैं| ऐसे लोगों की कोशिश होती है कि किसी भी तरह से दूसरों को मुसीबत में डालना है| मैंने कुछ हद तक ये भी महसूस किया है कि ऐसे लोग अपनी शुरूआती चालों में कामयाब भी होते हैं| इसकी वजह भी है| दरअसल एक आम इंसान ज़िन्दगी की दौड़ खामोशी के साथ सीधे रास्ते पर दौड़ रहा होता है,जबकि एक बुरा इंसान हरेक कदम सोच कर और सोची समझी रणनीति के तहत बढ़ाता है| ज़ाहिर तौर पर ऐसे लोग थोडी सफलता शुरू में ज़रूर हासिल करते हैं| पूरा मामला ये होता है कि एक कुटिल इंसान कभी आपको खुश नहीं देख सकता| अगर आप खुश हैं तो ये उसके लिए तकलीफ की बात हो जायेगी| अगर आपको स्कूल या कॉलेज में सफलता मिलती है तो ये बात उसे नहीं पचेगी| अगर आप नौकरी करते हैं और ऑफिस में आपके रिश्ते सभी से अच्छे हैं तो एक खुराफाती इंसान परेशान हो जायेगा| और तो और, अगर कुछ गिने-चुने लोगों से आपके रिश्ते बहुत अच्छे हैं तो ये बात एक बुरे इंसान की आँखों में कांटे की तरह चुभेगी| बस यहीं से शुरू हो जाती है उनकी राजनीति| हालाँकि इसे राजनीति कहना शायद ठीक भी नहीं होगा| ऐसे ही कुछ लोगों ने राजनीति शब्द को गन्दा बना दिया है| मुझे लगता है कि ये एक घटिया मानसिकता है जो ऐसे लोगों को इस तरह कि गिरी हुई हरकत करने के लिए प्रेरित करती है| खैर,ये राजनीति हो या कुटिलता, लेकिन है बहुत ही बुरी आदत|
ऐसे इंसान सबसे पहले आपके ख़ास और करीबी रिश्ते पर चोट करते हैं| आपको,अपने करीबी मित्रों से अलग करने के लिए एक बुरा इंसान किसी भी हद तक जा सकता है| चौंकाने वाली बात ये है कि इस तरह के इंसान काफी हद तक गंभीर और ज्ञान की बातें करते हैं| ऐसा लगता है कि दुनिया में इनसे ज्यादा ज्ञानी इंसान तो हो ही नहीं सकता| और उसी पल वो वो आपके खिलाफ अपनी चाल को अंजाम देता है| आपको अगर ऐसी परिस्तिथि का सामना करना पड़े तो बहुत तकलीफ होती है,क्योंकि तब आपको काफी सोच-समझकर प्रतिक्रिया देनी होती है| अब यहाँ पर उन लोगों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो जाती है जो आपके ख़ास और करीबी हैं| जब आप पर चोट होती है और आपके रिश्तों को तोड़ने की कोशिश होती है तो ये बेहद ज़रूरी है कि आपस में विश्वास बनाए रखें| आपके विश्वास कि डोर जिस पल भी कमज़ोर पड़ी,समझ लीजिये कि बुराई को हावी होने में ज्यादा वक़्त नहीं लगेगा| मैं तो यही कहूँगा कि एक बार बुराई का को परास्त कर दें,उसके बाद आपस की ग़लतफ़हमी ख़त्म कर लें| ये सारी बातें मैं इसलिए बता रहा हूँ क्योंकि कभी-कभी हम जिन चीज़ों को छोटी बात मान कर नज़र अंदाज़ कर देते हैं,वो ज़िन्दगी में भूचाल भी ला देती हैं|
एक बात और मैं विशेष तौर पर ज़िक्र करना चाहता हूँ की इंसान जब मुश्किलों में घिरता है,जब इंसान को चोट लगती है तो वो अपने सबसे ख़ास और करीबी शख्स का साथ चाहता है| इसलिए मेरी सबसे गुजारिश है की कभी भी ज़रूरत के वक़्त अपनों को अकेला न छोडें और खुद भी परेशानी के वक़्त अपनों का साथ ज़रूर लें| लेकिन कभी-कभी बुरे इंसान की लगाई हुई आग और उसकी चाल इतनी भीषण होती है कि आपके अपने ही साथ छोड़ जाते हैं| आपका करीबी ही आपके खिलाफ हो जाता है| दर्द,असहनीय तब हो जाता है जब आपका सबसे करीबी शख्स इस चाल को समझ नहीं पाता और वो खुद न सिर्फ आपके खिलाफ होता है,बल्कि आपका करीबी ही आप पर आरोपों से वार कर रहा होता है| ऐसे में समस्या ये होती है कि आप गैरों से,दुश्मनों से तो लड़ सकते हैं पर अपनों का मुकाबला कैसे करेंगे ? ये एक बड़ा सवाल है और जीवन के किसी न किसी मोड़ पर आपके सामने ज़रूर खड़ा होता है| बुराई से लड़ने के लिए ही ज़रूरी है कि अपनों में विश्वास बना रहे और किसी भी परिस्तिथि में विश्वास कि डोर न टूटे|
आखिर में मैं एक विनम्र निवेदन करना चाहूँगा,कि कृपया ये कहना बंद करें कि "बुरी नज़र से ही बुराई दिखती है और अच्छी नज़र से देखोगे तो सिर्फ अच्छाई ही दिखेगी"| मुझे ऐसा लगता है कि एक अच्छा इंसान बुराइयों को ज्यादा देख सकता है,क्योंकि उसे परेशान करने के लिए ,चोट पहुंचाने के लिए आस-पास कई बुरे लोग एक साथ भिडे होते हैं| हालाँकि शुरूआती सफलता तो बुराई को मिल सकती है,लेकिन आखिर में जीत अच्छाई और अच्छे लोगों को ही नसीब होगी| ऐसा मेरा विश्वास है| आप ज़रूर सोच रहे होंगे कि आखिर ये सब मैं किसलिए बता रहा हूँ| दरअसल मैं सिर्फ ये बताना चाहता हूँ कि इत्तफाक से इस ख़ास किस्म के दो-चार महापुरुष या दो-चार देवियाँ हर स्कूल,कॉलेज,या फिर ऑफिस में मौजूद होते हैं| ऐसे लोग समाज कि सबसे बड़ी बीमारी हैं,और इस बीमारी का इलाज बेहद ज़रूरी है| आइये मिलकर आगे बढ़ें और इस समाज के इस रोग को जड़ से उखाड़ फेंके|
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raho zameen par magar aasma ka khwab rakho
ReplyDeletetum apni soch ko har waqt lajawab rakho
khade na ho sako itna na sar jhukao kabhi
tum apne haath mein kirdar ki kitab rakho
ubhar raha hai jo suraj to dhoop nikelegi
ujalo mein mat raho dhundh ka hisaab rakho
mile to aise ki koi na bhool paye tumhe
mahak wafa ki rakho aur behisaab rakho.....
चिंतन प्रक्रिया शुरू हुई है तो रास्ते भी निकालेगी।
ReplyDeleteबात इतनी भी आसान नहीं है।
मूल्यों को परिणामों से जोडना खतरनाक है, और अभी समाज में यही ज्यादा चल रहा है।
परिणामों की आकांक्षा में शुरू हुई या अपनाई गई अच्छाई, इच्छित परिणाम नहीं मिलने पए त्याज्य हो जाती है।
यह बस होनी चाहिए. परिणाम जो भी हो।
और अभी तो इससे तकलीफ़ ही ज्यादा मिलनी है।
स्वागत है आपका।
लीक से हटकर कुछ तार्किक और व्यवहारिक बातें आपने कहीं हैं। मैं आपका स्वागत करता हूं।
ReplyDeleteHarek ka apna nazariya hota hai...badee samasya,kabhi samasya nahee hoti...jab chhoti,chhoti samasyayen ikatthee ho jatee hain, tabhi asli samasya hoti hai...!
ReplyDeleteSwagat hai...aisee duniyame jahan, rukh badal saken...!
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एकदम सही बात लिखी है आपने। जो लोग ये कहते हैं कि बुरा आदमी ही दुनिया को बुरा देखता है और अच्छा आदमी को अच्छी दिखता है, एकदम झूठ बात है। मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि दुनिया में एक से एक क...ने भरे पड़े हैं। मेरी अच्छाइयों का सिला बहुत ही भयानक तरीके से कॉन्स्पिरेसी रच कर दिया जा चुका है। गंदे लोग, गंदी मानसिकता और गंदगी का अंबार है जीवन के हर मोड़ पे। अच्छा आदमी होने का मतलब यह नहीं कि बुराई को देखना ही नहीं है। ये सब फालतू है। आपने ठीक कहा है कि बुराई से ज्यादा अच्छाई प्रभावी है।
ReplyDeleteवैसे आपसे एक गुजारिश है कि आप कमेंट बाक्स से वर्ड वेरिफिकेशन हटा लीजिए, यह बहुत कष्टप्रद होता है।
आप का ब्लोग जगत मे स्वागत है खुबसुरत रचना ।
ReplyDeletevisit my blog
Image Photography
sundar aalekh ,geeta ji ne to laazwaab kaha hai ,uske aage main kya kahoo sonch me pad gayi .
ReplyDeleteबहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्लाग जगत में स्वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।
ReplyDeleteआप की रचना प्रशंसा के योग्य है . आशा है आप अपने विचारो से हिंदी जगत को बहुत आगे ले जायंगे
ReplyDeleteलिखते रहिये
चिटठा जगत मे आप का स्वागत है
गार्गी
behtareen post
ReplyDeletechintanpoorn lekh
achha laga !
shubhkamnayen
कृपया वर्ड वैरिफिकेशन की उबाऊ प्रक्रिया हटा दें !
लगता है कि शुभेच्छा का भी प्रमाण माँगा जा रहा है।
इसकी वजह से प्रतिक्रिया देने में अनावश्यक परेशानी होती है !
तरीका :-
डेशबोर्ड > सेटिंग > कमेंट्स > शो वर्ड वैरिफिकेशन फार कमेंट्स > सेलेक्ट नो > सेव सेटिंग्स
आज की आवाज
अच्छा लिखते हैं आप ..यही विचार जब मन में घुमड़ते हैं तो कुछ अच्छा अलग सा लिखा जाता है .लिखते रहे ..शुक्रिया
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